समाज सेवा या कोई गोरख धंधा फर्जी सदस्यता लिस्ट आखिर क्यों ?

मैं हूं खिलाड़ी। खिलाड़ी भी ऐसा जो खड़े-खड़े अध्यक्ष बना दूं । मेरे इतने वोट हैं मुझे बताओ क्या करना है ? अध्यक्ष बनना है आ जाओ मैं बना देता हूं । शहर में रहने वाले चार लाख समाज के लोगों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ करते हुए फर्जी सदस्यता सूची पर चुनाव लगाया जाता है । भावनाओं से खेलने का खेल यही नहीं रुकता कुछ लोग अपने आप को समाज से भी बड़ा मानकर सिर्फ झूठी प्रतिष्ठा के खातिर अपने भगवान के जन्मोत्सव के नाम पर बने हुए मंच को आखिर राजनीति का अड्डा क्यों बना कर बैठे हैं?

अपने आप को सर्वो सर्वा मानकर समाज सेवा के नाम पर अपने कौन से निजी हितों को साधने में लगे हैं ?

भगवान की मर्जी के आगे चलती किसकी है जो इनकी चलती है इस बार सारा भांडा फूट गया । पर आप अच्छे लोगों के ना बोलने के कारण अच्छे लोगों के मौन व्रत रख लेने के कारण अपने कारस्थानी को छुपाने के लिए कुछ भी लिखकर अपनी गलतियों को चुनाव लड़ने वालों पर थोपने क्या काम कर रहे हैं?

अजी सरकार चालाकियां कहां तक चलेगी? अपनी बुद्धि और विवेक से खेल खेलने वाले अपने आप को खेल का खिलाड़ी समझने वाले आज खुद सफाई देते फिर रहे हैं यह आखिर क्या है ?

अजी अब तो पूरी पोल खुल चुकी है अब तो सफाई देना बंद करो गलतियां सुधारो जो फर्जी सदस्यता की सूची बना रखी है उसमें सुधार करो और जल्द चुनाव की तैयारी करो। अरे कुछ तो विवेक का इस्तेमाल करो कुछ तो सोचो खुद की गलतियों को दूसरे पर थोपने के बजाय गलतियां मानकर अब 11 पूर्व अध्यक्षों की कमेटी को बनाकर सदस्यता सूची में सुधार कर जल्द चुनाव करो। अगला अध्यक्ष जो भी बने आकर उसे सभी कार्यक्रम करने के लिए समय तो मिले आखिर कुछ तो आपकी जिम्मेदारी आपकी या फिर सिर्फ है कोई गोरख धंधा जिसे चलाए रखना आपकी आजीविका के लिए जरूरी है।

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Author: sindhuchaupal

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